Friday 31 January 2020

पंचकर्मा (pnchkarma) से दुरुस्‍त रखें अपना तन-मन

किसी भी बीमारी के बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेद बेस्ट विकल्प है ।आयुर्वेद में बिना शल्य चिकित्सा के किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने की औषधि और साधन मौजूद है । इसके साथ-साथ आयुर्वेद में पंचकर्म विधि द्वारा बहुत ही कारगर उपाय किया जाता है । यह प्रक्रिया काफी जांची परखी बहुत कारगर सिद्ध होती है । जिसमें शरीर को पूरी तरह निरोग बनाने का काम किया जाता है ताकि औषधि का भरपूर लाभ शरीर को मिल सके । उनमें से एक हैं आयुर्वेद की पंचकर्मा पद्धति, तो आइए जानते है पंचकर्म विधि होती क्या है । पंचकर्म से दुरुस्‍त रखें अपना तन-मन –


पंचकर्मा (पांच तरह के कर्म) जैसा की इसके नाम से ज्ञात होता है इसमें 5 तरह का ट्रीटमेंट मरीज को दिया जाता है।
पंचकर्मा (पांच तरह के कर्म) जैसा की इसके नाम से ज्ञात होता है इसमें 5 तरह का ट्रीटमेंट मरीज को दिया जाता है
पहला स्टेप वमन थेरेपी – (उल्टी )
इस थेरेपी में उल्टी के माध्यम से शरीर के दूषित खट्टे , लवणयुक्त तत्वों को उल्टी द्वारा बाहर निकाला जाता है । इसमें मरीज को उल्टी आने की औषधि दी जाती है जिससे बार – बार उल्टी आती है और पेट में जमी हुई जहरीली गैस, वायु , वात -पित्त सभी उल्टी के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं । शरीर अधिक निरोग बनकर सक्रिय होकर कार्य करना शुरू कर देता है । जिन लोगों को अस्थमा की शिकायत होती है उनके लिए तो यह थेरेपी बहुत कारगर सिद्ध होती है ।
पंचकर्म पद्धति में दूसरा स्टेप विरेचन –
विरेचन प्रक्रिया में औषधियों द्वारा बार-बार दस्त लगने की दवा दी जाती है जिससे मल के द्वारा शरीर के सारे विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते है । आजकल ज्यादातर फास्ट फूड का चलन बन गया है ऐसे फूड मैदे से बने होते है और ऐसा खाना पेट में जाकर जम जाता है और विषाक्त पदार्थ बन जाता है । गलत खानपान की वजह से ही रोज पेट पूरी तरह से साफ नहीं हो पाता और पेट में दूषित पदार्थ जमा हुए रहते हैं जो कई बीमारियों की जड़ होते हैं विवेचन प्रक्रिया से पेट को पूरी तरह साफ बना दिया जाता है जिससे शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है और यह पद्धति मोटापा वाले व्यक्ति के लिए काफी लाभदायक है जिन लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है उनके लिए तो यह थेरेपी वरदान है।
पंचकर्मा पद्धति का तीसरा स्टेप है नस्य क्रिया –
इस प्रक्रिया में नाक में औषधीय तेल डाला जाता है जो ऊपर सिर में जाकर विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाल लाता है । कभी-कभी मरीज को हल्के हाथों से सिर पर मालिश भी दी जाती है । जिन लोगों को माइग्रेन वह डिप्रेशन की समस्या होती है उन लोगों के लिए यह प्रक्रिया बहुत ही राहत दिलाने वाली होती है और जिन लोगों के सिर में बालों की समस्या होती है वह भी इस प्रक्रिया से खत्म हो जाती है । इसके अलावा मस्तिष्क में जमी वात , कफ पित में भी यह प्रक्रिया काफी कारगर सिद्ध होती है ।


पंचकर्मा पद्धति का चौथा स्टेप अनुवासन वस्ती –
इस पद्धति में शरीर को पूरी तरह निरोग बनाया जाता है मरीज को भरपूर पौष्टिक आहार दिया जाता है वास्तव में तो यह पद्धति पंचकर्म विधि का आधार मानी गई है । मरीज को ज्यादा तरल पदार्थ दिए जाते हैं जैसे दूध, दही, घी, मक्खन आदि का सेवन करवाया जाता है जो पेट को पूरी तरह से साफ बना कर ऊर्जावान कर देता है । क्योंकि हमारे खान-पान में जितना तरल और पौष्टिक आहार रहेगा शरीर उतना ही सक्रिय होकर कार्य करने लग जाएगा । पुराने जमाने के लोग इसीलिए स्वस्थ रहते थे क्योंकि वे तरल पदार्थ ज्यादा लेते थे । उनके खानपान में दूध, दही लस्सी की भरमार होती थी ।
पांचवा स्टेप रक्तमोक्षण –
इस प्रक्रिया में शरीर में खराब खून को साफ किया जाता है। आयुर्वेदिक औषधियों के माध्यम से आपके शरीर के खून को शुद्ध किया जाता है इस प्रक्रिया से रक्त संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते हैं जैसे अनीमिया, उच्च रक्तचाप, आदि ।
पंचकर्मा प्रक्रिया में बहुत सारे फायदे इस प्रक्रिया में शरीर को पूर्णतया दोषमुक्त बना दिया जाता है । जिससे शरीर में नई जान आ जाती है और नई स्फूर्ति से शरीर कार्य करने लग जाता है । इस प्रक्रिया में थोड़ा समय जरूर लगता है । थोड़ी धीरज की जरूरत होती है पर सभी बीमारियों को जड़ से खत्म कर देने का काम आयुर्वेद में होता है ।

इसके अलावा आयुर्वेद में योग क्रिया का भी सहारा लिया जाता है । प्राणायाम व योगक्रिया द्वारा असाध्य रोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जाता है । आशा आयुर्वेद सेंटर दिल्ली में कुशल एक्सपर्ट की देखरेख में योग क्रिया और पंचकर्मा विधि द्वारा मरीजो का इलाज किया जाता है ।
पंचकर्मा पद्धति से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है । आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है ना ही बहुत सारी महंगी दवाइयों का सेवन मरीज को कराया जाता है । और तो और जड़ी बूटी से निर्मित ओषधि खाने से मरीज के चेहरे पर चमक भी आ जाती है और शरीर में उत्साह बढ़ जाता है ।





दिल्ली के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की बात करे तो आशा आयुर्वेदा सेंटर दिल्ली एक बेस्ट ऑप्शन हैं। जहां आपका बेहतर ट्रीटमेंट दिया जायेगा । अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें :

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शुष्क होती है स्किन (Dry skeen) ? ये टिप्स फॉलो कर पाएं जादूई निखार

विंटर सीजन में यूं तो सब कुछ गुणकारी मिलता है जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद है जैसे इस मौसम मे मिलने वाली ताजा सब्जियां, गोभी बैगन टमाटर, पहाड़ी आलू, सेम शिमला मिर्च गाजर मूली पालक मेथी बथुआ आदि । इनका सेवन जहां आरोग्य प्रदान करता है वही एक अलग ही चुस्ती फुर्ती भी जगाता है, लेकिन सभी तरफ से स्वास्थ्यप्रद ये मौसम त्वचा के लिये थोड़ा कष्टकारी होता है ।
सर्दियों के मौसम मे चलने वाली तेज़ हवाएँ और और शीतलता चेहरे और आपकी त्वचा से इसकी प्राकृतिक नमी को चुरा लेती हैंं । प्राकृतिक नमी की कमी यानी त्वचा मे रूखापन, त्वचा के फटने की समस्या, त्वचा मे पड़ने वाली झाईं आदी की समस्या । पर जहां समस्या है वहीं समाधान भी हैं । आयुर्वेद एक ऐसी विधा है जिसमें हर समस्या का आयुर्वेदिक उपाय मौजूद है। तो आइए जानें ड्राई एवं रूखी त्वचा के लिये उपाय ( Ayurvedic Treatment For Skin ) :-

तेल का प्रयोग :- नियमित रूप से दो से तीन बार नारियल तेल का प्रयोग करें तो त्वचा की रुक्षता में काफी हद तक कमी महसूस की जा सकती है । नारियल तेल के अभाव में जैतून का तेल बादाम का तेल तिल का तेल भी प्रयोग किया जा सकता है ।
विटामिन ई (vitamin e ) का प्रयोग :- बाजार में विटामिन ई के कैप्सूल इवियोन नाम से पाए जाते हैं । विटामिन ई से भरपूर इस कैप्सूल को दिन में 2 से 3 बार प्रयोग किया जा सकता है। यह काफी गाढ़े तरल के रूप में पाया जाता है । इस कैप्सूल को प्रयोग करने के लिए कैप्सूल में ऊपर से छोटा छेद करके उसे हाथ में निकाल ले और थोड़ा सा कोई भी तेल या पानी मिलाकर इसे रखी त्वचा वाली जगह पर लेप कर दें ऐसा दिन में दो से तीन बार करने पर रुखपन मे कमी आती है ।
एलोवेरा जेल :- इसे समान मात्रा में मलाई के साथ मिलाकर त्वचा पर दिन में 2 से 3 बार लेप करें तो लाभ होगा ।
रक्त चंदन, पठानी लोध्र और घोड़ बच में समान मात्रा में धनिया की पत्तियां मिलाकर पीसकर रुखी त्वचा वाली जगह पर दिन में कम से कम एक बार लेप करें आशा अनुरूप सफलता मिलेगी।
रूखी त्वचा को दूर करने के लिए सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत यही है कि त्वचा में नमी बनी रहे । कोई भी अच्छा विटामिन ई (vitamin e ) युक्त बॉडी लोशन शरीर में तीन से चार बार लेप करना लाभप्रद होता है ।
बादाम को पीस कर सूखे पाउडर को साफ सूखे डिब्बे में रख लें, और नहाने के पहले मलाई या दूध मिलाकर त्वचा में प्रयोग करें तरह पीस कर सूखे डब्बे में सहेज कर रखे व नहाने के पहले नियम से इसका प्रयोग त्वचा पर करें
रात में सोने के पहले किसी अच्छे मोइश्च्राईज़र का प्रयोग नियम से करे।
मोइश्चराइज़र के अभाव मे नारियल तेल भी चेहरे पर लगाया जा सकता है ।
नहाने के पहले नियम से मलाई लगाएँ ।
बहुत अधिक केमिकल युक्त साबुन का प्रयोग ना करें।
फुलक्रीम या मोइश्चराईज़र युक्त साबुन का प्रयोग करें।
त्वचा पर तरह तरह के मेकअप प्रसाधनों के अधिक प्रयोग से बचें ।
मेकअप करने के बाद नियम से सोने के पहले मेकअप उतारना ना भूलें । इन सभी बातों का ध्यान रख कर त्वचा की नमी को बचाये रखा जा सकता है।
शुष्क त्वचा का दिल्ली में आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ( Ayurvedic Treatment For Skin In Delhi )
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Wednesday 29 January 2020

इन 5 आयुर्वेदिक तरीकों से पाएं लंबे और खूबसूरत बाल

हेयरस्टाइल (hairstyle) किसी भी व्यक्ति की पर्सनालिटी में चार चांद लगा देते हैं पर ज्यादा सुंदर दिखने की चाह में महिलाएं अपने बालों पर केमिकल युक्त साबुन, शैंपू हेयर, कलरऔर ना जाने क्या-क्या चीजें इस्तेमाल कर लेती है। जिसका गलत परिणाम भुगतना पड़ता है । आजकल कई लुभावने हेयर प्रोडक्ट मार्केट में आए हुए हैं जो 5 दिन में बालों को लंबा, घना और मुलायम बनाने का झांसा देते है और महिलाएं बिना सोचे समझे इन प्रोडक्ट का इस्तेमाल अपने बालों पर कर लेती है और नतीजा हेयर फॉल से शुरू होकर गंजेपन तक चला जाता है ।


आयुर्वेद में कई ऐसे खजाने भरे हुए हैं जो हमारी रसोई में ही हमे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । जिनके इस्तेमाल से बाल घने व चमकदार तो बनते ही हैं इनके इस्तेमाल से बालों की सभी समस्याओं से छुटकारा मिलकर बाल बहुत मजबूत बनते हैं । आइए जानते हैं आयुर्वेद के पांच तरीके जिन को अपनाने से बाल लंबे और खूबसूरत बनते हैं ( Aayurvedic Treatment For Hair Loss And Regrowth )



मेथी दाने का प्रयोग— मेथी दाने में विटामिन ए विटामिन के और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । जो बालों की ग्रोथ (growth ) को बढ़ाकर बाल घने व चमकदार बनाता है । इसके अलावा मेथी दाने में फोलिक एसिड भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिससे बाल झड़ने की समस्या से छुटकारा मिलता है । बालों की सभी प्रॉब्लम से छुटकारा पाने के लिए मेथी का प्रयोग बहुत ही लाभदायक माना गया है ।मेथी को रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से शरीर को बहुत लाभ मिलता हैं और बाल मजबूत और घने बनते हैं ।


दही और मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग – दही में गुणकारी बैक्टीरिया होते हैं और प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में होता है ।दही बालों से रूसी को खत्म करता और बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है जिससे बाल घने चमकदार हो जाते हैं दही में मुल्तानी मिट्टी मिला ली जाए तो इसके औषधीय गुण बालों को मिलते हैं ।बालों में इसका लेप लगा कर 15 मिनट बाद साफ पानी से धो लेने से बाल एकदम साफ और चमकदार हो जाते हैं ।



रीठा – यह बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है । रीठा को कूटकर इसका चूर्ण बनाकर रात को पानी में भिगो दीजिए । सुबह छानकर इससे बालों को धो लीजिये बाल बहुत ही काले और चमकदार बन जाएंगे । इसके नियमित प्रयोग से बाल बहुत ही खूबसूरत हो जाते है ।



आंवला का प्रयोग – बालों के लिए विटामिन सी बहुत ही फायदेमंद होता है विटामिन सी के अभाव में बाल रूखे -सूखे होकर टूटने लग जाते हैं ।बहुत ही आसान । ठंडा होने पर बालों को धो लीजिये बालों की चमक देखते ही बनेगी ।


नीम की पत्तियों का उपयोग – नीम का आयुर्वेद में बहुत ही महत्व माना गया है नीम गुणों की खान होता है । नीम के पत्तों में औषधीय गुण होने के कारण यह त्वचा और बाल दोनों के लिए ही बहुत लाभदायक होता है। यह रूसी की समस्या से भी बालों को छुटकारा दिलाता है । बालों को जड़ से मजबूती प्रदान करता है । नीम के पत्तों को उबालकर इसके पानी से बाल धोने से बाल घने व चमकदार बन जाते हैं ।

इसके अलावा भृंगराज तेल का उपयोग भी आयुर्वेद में बहुत गुणकारी बताया गया है । यह एक औषधीय तेल है जो सिर में रक्त संचार को तेज करता है जो बालों को घना और मजबूत बनाता हैं ।

                                www.aashaayurveda.com call : 9811773770
दिल्ली में बालो के आयुर्वेदिक डॉक्टर ( Ayurvedic Doctor For Hair In Delhi )
यदि आप आप बालों को प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं या बालो के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की तलाश कर रहे हैं तो आशा आयुर्वेदा सेंटर दिल्ली की डॉक्टर चंचल शर्मा बेस्ट डॉक्टर हैं । जहां आपके हेयर लॉस का बेहतर ट्रीटमेंट दिया जायेगा ।

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Fallopion Tubal Blockage का अगर आप आयुर्वेदिक इलाज देख रहे है तो इस वीडियो को एक बार जरूर देखे : यदि आप भी Blocked Fallopian tube से पीड़ित है तो एक बार video देखे जिंदगी बदल जाएगी


Monday 27 January 2020

सोरायसिस के कारण व लक्षण एवं आयुर्वेद के उपचार

आपने किसी के हाथ या पैर पर लाल या सफेद गोल चकता बना हुआ देखा होगा । वास्तव में वो एक फंगल इंफेक्शन होता है जिसे मेडिकल साइंस में सोरायसिस ( Psoriasis ) कहा जाता है । सोरायसिस एक स्किन रिलेटेड रोग है जो हवा में नमी के कारण या मौसम के बदलने पर ज्यादातर देखने में आता है । यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है । पर ज्यादातर 30 से 40 साल की उम्र वालों में यह विकृत रूप से दिखाई देता है । तो आइए जानते हैं सोरायसिस के कारणों के बारे में :-



1. यह एक फंगल रोग है जो कपड़े के गीले रेशों से भी उत्पन्न हो जाता है । इस रोग के होने पर त्वचा में शुष्कता आ जाती है और त्वचा फुल कर मोटी हो जाती है तथा बहुत तेज खुजली होती है । ज्यादा खुजलाने पर त्वचा में लाल लाल दाने उभर आते हैं और फिर यही दाने लाल चकते का रूप धारण कर लेते हैं ।

2. यह एक तरह की छूत की बीमारी मानी जाती है और कभी - कभी यह आनुवंशिक बीमारी भी होती है ।

3. सोरायसिस कोहनी, घुटनों, सिर व हाथ - पैर कहीं पर भी हो सकती है । एक बार हो जाने पर ये बीमारी जल्दी ठीक भी नही होती है । इसके इलाज में धीरज रखने की जरूरत होती है ।

4. यह बीमारी शरीर में इम्युनिटी सिस्टम में गड़बड़ी के कारण पैदा होती है ।

5. इम्यूनिटी सिस्टम खराब होने पर शरीर में स्किन संबंधित कई बीमारियां खड़ी हो जाती है । भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत खानपान की वजह से या बहुत अधिक शराब का सेवन करने पर या फिर जिन लोगों की दिनचर्या सही नही होती है उन्हें यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है ।

6. दूषित व विषाक्त खाना खाने पर त्वचा संबंधित रोग निकल आते है । या फिर विरोधता पैदा करने वाली चीजों को एक साथ खाने पर स्किन प्रॉब्लम शुरू हो जाती है जैसे - दूध के साथ दही का सेवन नही करना चाहिये । घी व तेल को एक साथ मिलाकर नही खाना चाहिए ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनका आपस मे विरोधाभास उन्हें एक साथ सेवन करने से स्किन समस्या शुरू हो जाती हैं।

7. सही तरह से शरीर की देखभाल नही करने पर या फिर गीले व गन्दे कपड़ें पहनने पर या सीलनभरे अंडर गारमेंट्स पहनने से यह बीमारी तेजी से फैल जाती है । एक बार जब मरीज इसकी चपेट में आ जाता है तो जल्दी से यह बीमारी पीछा भी नहीं छोड़ती है ।



सोरायसिस ( Psoriasis ) के लक्षण

जैसा कि आप जानते हैं यह स्कीन से रिलेटेड बीमारी हैं । सामान्य शब्दों में दाद भी कहते हैं । इनके लक्षण शुरुआती दौर में ही दिखाई देते हैं जैसे

1. तेज़ धूप में जाने पर त्वचा में खिंचाव चालू हो जाता है ।
2. त्वचा पर बहुत तेज खुजली चालू हो जाती है । घाव से सफेद पपड़ी उतरती है व ज्यादा घाव बढ़ जाने पर सफेद पीप भी निकलने लगता है ।
3. मरीज को कभी कभी जोड़ों का दर्द भी चालू हो जाता है ।

सोरायसिस का दिल्ली में आयुर्वेदिक इलाज ( Ayurvedic Doctors For Psoriasis In Delhi ) :-

अगर हम बात करे देश की राजधानी दिल्ली में बेस्ट सोरायसिस के आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की तो आशा आयुर्वेदा  आयुर्वेदिक सेंटर एवं पंचकर्मा आयुर्वेदिक सेंटर दिल्ली मुख्य हैं । जहाँ आपको बेहतर इलाज मिल सकता हैं ।

सोरायसिस को दूर करने के आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment For Psoriasis ) :-

आयुर्वेदिक उपचार किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने की हिम्मत रखता है । आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ पोष्टिक व सही खाने पर जोर दिया जाता है । मरीज को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ दिए जाते हैं ताकि शरीर में पानी की मात्रा कम ना हो पाए ।


1. सोरायसिस को आम बोलचाल की भाषा में दाद की बीमारी कहा जाता है । मरीज के कपड़ों को वह उसके बिस्तर को अच्छे से साफ रखना चाहिए वह अलग रखना चाहिए ताकि यह बीमारी फैलने ना पाए ।

2. कपड़ों को डिटॉल या नीम के पानी से धोना चाहिए । कुछ सरल तरीके से सोरायसिस का इलाज घर पर ही किया जा सकता है ।

3. छाछ का प्रयोग - आयुर्वेद में छाछ को एक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है । छाछ से पेट साफ तो होता ही है नियमित दोपहर में छाछ का प्रयोग करने पर खाना अच्छे से डायजेस्ट हो जाता है । स्किन में क्रांति आ जाती है स्किन ज्यादा चमकदार होकर नए सेल्स पैदा करती है । छाछ का नियमित सेवन पेट व स्किन सम्बंधित कई बीमारियों से दूर रखता है ।

4. नीम का प्रयोग - नीम के पत्ते त्वचा संबंधी रोगों में काफी कारगर साबित होते हैं । नीम के पत्तों का प्रयोग लोशन में या साबुन के रूप में किया जाता है ।पानी में नीम के पत्तों को उबालकर उस पानी से घाव वाली जगह को धोने से तुरंत आराम मिलता है ।नीम के तेल को त्वचा पर लगाने से मुंहासे , दाद ,खाज ,खुजली त्वचा संबंधी सभी रोगों में तुरंत फायदा होता है ।

5. विरेचन की प्रक्रिया - गलत खानपान की वजह से रोज पेट साफ ठीक से नहीं हो पाता है । जिसके कारण कई बीमारियां घर कर लेती है । पंचकर्मा की विरेचन प्रक्रिया में रोगी को जड़ी बूटियों से बनी दवाइयों व चूर्ण वगैरह खिलाए जाते हैं जो पेट के इम्यूनिटी सिस्टम को ठीक करते हैं व पेट में जमा हुआ सारा मल बाहर निकाल देते हैं ।

6. आयुर्वेद में दवाई से ज्यादा पौष्टिक आहार पर जोर दिया जाता है । जिससे शरीर में पोषक तत्व भरपूर रहे वह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाये । पोष्टिक आहार से त्वचा ज्यादा ऊर्जावान हो जाती है । तली हुई चीजें फास्ट फूड और मैदे से बनी चीजों से पूर्णता परहेज करने की सलाह दी जाती है । गलत खानपान की वजह से ही हम जाने-अनजाने कितनी बीमारियों की चपेट में आ जाते है अतः आयुर्वेद में हमेशा घर पर बना पौष्टिकता से पूर्ण खाने पर ही जोर दिया जाता है ।

7. सन के बीज - सन के बीज शरीर में आई सूजन को कम करते हैं । इसके नियमित प्रयोग करने से त्वचा साफ व चमकदार हो जाती है ।

8. योग की सलाह - आयुर्वेद में हर बीमारी में योग को प्राथमिकता दी जाती है योग से कई बीमारियों का इलाज सरल हो जाता है । सुबह-सुबह ताजी हवा में सैर करने की सलाह दी जाती है । ताकि खुली हवा में सांस लेने से शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है । इसके साथ ही प्राणायाम करने से शरीर को शुद्ध वायु मिलती है । शरीर से नकारात्मकता भाग जाती है । शरीर और अधिक ऊर्जावान बन जाता है ।


9. प्राणायाम मे ॐ मंत्र का उच्चारण - गहरी सांस लेते हुए ॐ शब्द के उच्चारण करने से फेफड़ों में नई जान भर जाती है । नियमित अनुलोम -विलोम के साथ कपाल भारती करने से रक्त संचार ठीक होता है और हमारे उत्तकों में नई प्राणवायु भर जाती है । और त्वचा भी जवाँ दिखने लग जाती है ।



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अगर आप अधिक जानकारी चाहते है तो क्लिक कीजिये: Virechana Treatment in Ayurveda – Weight Loss, Skin Problems & Many Other Benefits





Monday 20 January 2020

बालों झड़ना कैसे रोके, लक्षण, कारण एवं आयुर्वेदिक उपचार

बालो का झड़ना आम बात हैं । आये दिन 50 -100 बाल झड़ ही जाते हैं । यही प्रॉब्लम हमे परेशान कर जाती हैं जिसे हम नये नये प्रोडक्ट इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हो जाते हैं मगर रिजल्ट ज़ीरो । जी हां आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर मुख्य रुप से तीन दोष (वात-पित्त-कफ) से बना हुआ है इन्हें दोष कहने का मुख्य कारण भी यही है क्योंकि इनकी साम्यावस्था जहां हमें आरोग्य देती हैं वहीं इनका मात्रा से कम या ज्यादा होना हमारे शरीर मे रोगों को उत्पन्न करता है। बालों के झडने का मुख्य कारण पित्त की अधिकता है । आसान शब्दों में हेयर लॉस (Hair loss) के कारण इस प्रकार गिने जा सकते हैं तो आइए जानते हैं :-


बॉडी फैट या मेद-– आयुर्वेद के अनुसार शरीर सात धातुओं से मिलकर बना होता है जिनमें एक धातु होती है मेद जिसे हम आधुनिक युग में फैट कहते हैं। जब किसी व्यक्ति में मेद धातु की अधिकता हो जाती हैं तो हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं उसका सारा सार मेद में परिवर्तित होने लगता है और वह अपने आगे की धातु जैसे की अस्थि और मज्जा के पोषण को रोक देता है इसीलिए अधिकतर देखा जाता है कि बहुत मेदस्वी या फैटी लोगों के सिर से बाल झड़ने लगते हैं क्योंकि उनमें अस्ति धातु का पोषण नहीं होता और आयुर्वेद के अनुसार बालों को अस्ति धातु का मल कहा जाता है।
कैल्शियम एवं आयरन की कमी– वर्तमान में छरहरा दिखने की चाह में युवक युवतियां जिस प्रकार डाइटिंग की प्रक्रिया को अपना रहे हैं, उसमें शरीर कई पोषक तत्वों से वंचित रह जाता है उन पोषक तत्वों में मुख्य पोषक तत्व है आयरन । शरीर में जब भी आयरन की कमी होगी, लौह धातु की कमी होगी, सिर से बाल अवश्य झड़ेंगे । वही कैल्शियम की कमी के कारण भी बालों का झड़ना (Hair Fall ) आम समस्या है ।

गम्भीर बीमारियाँ — मानव शरीर का एक सिस्टम होता है जिसमें छोटी-मोटी बीमारियों से शरीर बिना दवाइयों के ही लड़ लेता है । इसी प्रकार शरीर का सिस्टम काम करता है जब मानव शरीर किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होता है उस समय शरीर का पूरा ध्यान उस बीमारी से लड़ने में निकल जाता है इसलिए बाकी पोषण अनदेखा रह जाता है और इस प्रकार पोषण के अभाव मे ऐसी गम्भीर बिमारियों जैसे पीलिया, टायफाइड, मलेरिया, विषम ज्वर आदि के बाद बाल झडने लगते हैं ।
त्वचा गत रोग – आयुर्वेद डॉक्टर्स के अनुसार त्वचा से संबंधित जितने भी रोग होते हैं उन सभी में अमूमन बालों का झड़ना पाया ही जाता है इसके मुख्य उदाहरण है– कुष्ठ रोग या लेप्रोसी ल्युकोडर्मा, वायरल इनफेक्शन, दाद- खाज- खुजली रोमांतिका अरुणशिका या रूसी का होना, फन्गल इन्फेकशन इत्यादि।।
त्वचा गत रोग – आयुर्वेद डॉक्टर्स के अनुसार त्वचा से संबंधित जितने भी रोग होते हैं उन सभी में अमूमन बालों का झड़ना पाया ही जाता है इसके मुख्य उदाहरण है– कुष्ठ रोग या लेप्रोसी ल्युकोडर्मा, वायरल इनफेक्शन, दाद- खाज- खुजली रोमांतिका अरुणशिका या रूसी का होना, फन्गल इन्फेकशन इत्यादि।।
रक्तगत रोग– रक्त से सम्बंधित विभिन्न रोगों में एक तो व्याधि के कारण दूसरा रोग को दूर करने के लिये प्रयुक्त एंटीबायोटिक के अति प्रयोग के कारण भी बाल अक्सर समय से पहले झड़ जातें हैं ।
कृमि रोग-– सामान्यतः लोगों में यही धारणा पायी जाती है कि कृमि बच्चों में ही पाये जातें हैं पर ऐसा नही है। बहुत बार बच्चों के साथ ही कई वयस्कों में भी विभिन्न प्रकार के कृमि या वर्म्स पाये जातें है जो बालो के झड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं।

अन्य कारण– बहुत बार ऐसी कई बीमारियाँ जो शरीर के मेटाबोलिस्म से जुड़ी होती है,उनके कारण भी बालों का झड़ना पाया जाता है। जैसे डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और थायरॉईड की समस्या में भी बालों का गिरना देखा जाता है। जैसा कि आप सभी ने देखा बालों के झड़ने के यह सारे कारण हैं इन्हीं कारणों में इनके उपचार छिपे हैं। इन कारणों का निदान जैसे जैसे किया जाएगा, वैसे वैसे उपचार मिलता जाएगा। आगे आपको उपचार के बारे में बताते हैं।


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आयुर्वेदिक उपचार दिल्ली  Ayurvedic Treatment For Hair Loss In Delhi 
यूं तो आयुर्वेद के बेस्ट डॉक्टर्स आपको हर महानगर में मिल जायेंगे लेकिन अगर बात दिल्ली की करें तो डॉ. Chanchal SharmaAyurvedic treatment for hair Aasha Ayruveda पंचकर्मा आयुर्वेदिक सेंटर दिल्ली मुख्य हैं ।
अगर आप अधिक जानकारी चाहते है तो क्लिक कीजिये: Ayurvedic Remedies For Hair Fall And Hair Regrowth

Thursday 16 January 2020

पंचकर्मा क्या है। पंचकर्मा के क्या फायदे ।

आधुनिक युग की भागमभाग भरी जिंदगी में इंसान तुरंत रिजल्ट देने वाली मेडिसिन लेता हैं जिसे वह ठीक तो जाता हैं मगर उन मेडिसिन से साइड इफेक्ट होने का खतरा भी रहता हैं।एक बीमारी तो ठीक हो जाती है पर नई दस बीमारियाँ खड़ी हो जाती है इसके विपरीत आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में साइड इफेक्ट जैसी प्रॉब्लम न के बराबर हैं । इस पद्धति से रोग का स्थायी समाधान होता हैं । आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की अनेको विधियां हैं उनमें से एक हैं पंचकर्मा पद्धति । यह एक बेस्ट आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हैं । जिस प्रकार हमारा शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है उसी रोग को 5 तरीको से ठीक किया जा सकता हैं । आयुर्वेद ने इन पांच कर्मो (वमन, विरेचन, नस्य, अनुवासन एवं रक्त) को ही पंचकर्मा कहा हैं ।


हमारे देश में आयुर्वेद चिकित्सालय हैं जहां पंचकर्मा पद्धति से इलाज किया जाता हैं उनमें से एक हैं आयुर्वेद पंचकर्मा सेंटर दिल्ली ( Panchakarma Centre in Delhi ) । देश की राजधानी में स्थित इस आयुर्वेद चिकित्सालय पंचकर्मा पद्धति से सभी प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता हैं । तो आइए जानते हैं पंचकर्मा पद्धति क्या हैं ( Panchkrama kya hai?) :-
पंचकर्मा एक ऐसी आयुर्वेद की प्रक्रिया हैं जिसे शरीर के विभिन्न अंगों के माध्यम से शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को बिना किसी शल्य क्रिया से बाहर निकाला जाता हैं । इस पद्धति को 5 चरणों मे पूरा किया जाता हैं । जो इस प्रकार है :-
1.पंचकर्मा पद्धति का पहला स्टेप – वमन यानी उल्टी
इस प्रक्रिया में आपको उल्टी के माध्यम से पेट में जहरीली गैस व जमा हुआ विषाक्त पदार्थ को उल्टी के द्वारा बाहर निकाला जाता है ।इस प्रक्रिया में मेडिसिन के माध्यम से जमे विषाक्त पदार्थों तरल बनाया जाता है फिर उल्टी के साथ शरीर से बाहर निकाला जाता है । क्योंकि सारी बीमारियों की जड़ तो पेट ही होता है । हम आजकल ज्यादातर खाने में फास्ट फूड व तली हुई चीजों का और मैदे से बनी हुई चीजों का ही इस्तेमाल करते हैं जो शरीर में डाइजेस्ट ना होने के कारण पेट में जमकर विषैला पदार्थ बन जाती है । वमन प्रक्रिया में पेट पूरी तरह साफ हो जाता है । जिन लोगों में वात , पित्त और अस्थमा की शिकायत होती है उनके लिए तो यह प्रक्रिया रामबाण है ।

पंचकर्मा पद्वति का दूसरा स्टेप —  विरेचन
यानी इस प्रक्रिया में मल के द्वारा शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाला जाता है। इस मे जड़ी बूटियों से बनी मेडिसिन आपको खिलाई जाती है जो आपके शरीर में जाकर मल के माध्यम से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाल देती है ।साथ ही जो लोग मोटापा के शिकार होते है ।और जिनको खाना सही तरह से डाइजेस्ट नहीं हो पाता और मोटापा घेर लेता है । उनके लिए यह प्रक्रिया मोटापा कम करने में सहायक होती है । पेट साफ होने से आधी बीमारियां तो ऐसे ही निकल जाती है । फिर जो लोग कब्ज की शिकायत परेशान रहते हैं । उनके लिए यह प्रक्रिया बहुत ही लाभदायक है ।
पंचकर्मा पद्वति का चौथा स्टेप – अनुवासन वस्ती
इस प्रक्रिया को पंचकर्म प्रकृति प्रक्रिया का आधार माना गया है । क्योकि इस प्रक्रिया में आपको ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन जैसे दूध, दही, घी, मक्खन और छाछ जैसे तरल पदार्थों का सेवन कराया जाता है । जो पेट को पूरी तरह से साफ और रोग मुक्त बना देता है ।क्योंकि हमारे खाने में जितना तरल व पौष्टिक पदार्थों होगा उतना ही हम स्वास्थ्य बनेंगे पुराने जमाने के लोग इसीलिए स्वस्थ रहते थे क्योंकि उनके खान-पान में इन्हीं तरल व पोष्टिक चीजों की भरमार होती थी ।
पंचकर्मा पद्धति का पांचवां स्टेप – रक्तमोक्षण
इस प्रक्रिया में आपके शरीर में खराब खून को साफ किया जाता है । जड़ी बूटियों के माध्यम से आपके शरीर के रक्त को शुद्ध किया जाता है । खून को पतला व साफ बनाया जाता है ।जिन लोगों को मुहांसों व स्किन की समस्या होती है । उन लोगों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद प्रक्रिया होती है । इस प्रक्रिया द्वारा हार्ट को शुद्ध खून मिलता है । और हार्ट और अच्छी तरह से कार्य करता है ।

पंचकर्म के फायदे :-
पंचकर्म पद्धति के बहुत सारे फायदे इस प्रक्रिया में शरीर को पूरी तरह विषाक्त मुक्त बना दिया जाता है । जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है । शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है । इस प्रक्रिया में थोड़ा समय जरूर लगता है पर शरीर से सारी बीमारियों का जड़ से खात्मा हो जाता है । शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाने से आदमी को छोटी- मोटी बीमारियों का असर ही नहीं होता है । इसमें साइड इफेक्ट्स का कोई डर नहीं होता और ना ही बहुत सारी महंगी दवाइयों का सेवन आपको करवाया जाते हैं ।देसी जड़ी बूटियों की दवाई खाने से इंसान के चेहरे पर भी चमक आ जाती है शरीर में उत्साह का संचार हो जाता है ।
पंचकर्मा की सावधानियां
इस पद्धति में  Ayurvedic Panchakarma Treatment Centre in Delhi के अनुसार हमे कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता है । जैसे तनाव न ले, फिज़िकल रिलेशनशिप न बनाएं, भरपूर नींद ले एवं चिकित्सक के परामर्श के अनुसार खान पान करें ।

http://www.aashaayurveda.com contact: 9811773770
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Saturday 11 January 2020

पंचकर्मा क्या होता है और पंचकर्मा के फायदे होते है।

पंचकर्मा से हमारे शरीर के रोगो का निदान होता है। कई बार ऐसा होता हम डॉक्टर का पास जाकर भी हमारी बिमारियों का सही से निदान नहीं हो पता, एलोपेथिक दवाइयाँ एक रोग ठीक करती है और दूसरी बीमारी को दावत देती है। लेकिन आयुर्वेदा में हमारी को जड़ से ख़त्म किया जाता है। जिसमे है एक पंचकर्मा है।  पंचकर्मा में त्वचा ,बालो और इन्फर्टिलटी बीमारियों का जड़ से इलाज किया जाता हैं। आशा आयुर्वेदा में आप अपनी समस्याओ को दिखा सकते हैं।


 जानिए क्या है पंचकर्म और इसके लाभ  आयुर्वेद के अनुसार शरीर से विशाक्त पदार्थों को बहार निकालने की प्रक्रिया को पंचकर्म सिद्धांत के अंतर्गत रखा गया है। इसे हम शरीर का शुद्धिकरण भी कह सकते हैक्योंकि जब हम शरीर से विशैले पदार्थों का त्याग करते है तो हमारा शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। आयुर्वेद की पंच कर्म पद्धति में पांच क्रियाएं होती है। इनके नाम इस प्रकार से है – वमन, विरेचन, बस्ति, नस्य, रक्तमोक्षण।

1.  वमन  पंचकर्म की पहली प्रक्रिया होती है वमन अर्थात उल्टी के द्वारा शरीर के जहरीले विशाक्त पदार्थों को शरीर से बहार करके शरीर को शुद्ध बनाना।

2. विरेचन  विरेचन पंचकर्म की दूसरी पद्धति है जिसके द्वारा पूरी तरह से शरीर से मल का त्याग किया जाता है। इस प्रकिया में शरीर की आंतों में जमें विशाक्त पदार्थों को निकाला जाता है और जड़ी बुटियों का सेवन कराया जाता है जिससे विशैल पदार्थ शरीर से जल्द से जल्द मल के द्वारा बहार आ जायें।

3.  वस्ति  पंचकर्म के इस चरण में हम रोगी को आयुर्वेद की तरल औषाधियों का सेवन कराते है। इन तरह औषधियों में दुधतेल या फिर घी को पिलाया जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग जटिल तथा पुरानी बिमारियों को ठीक करने में किया जाता है।

4.  नस्य  इस प्रक्रिया के अंतर्गत शरीर के अंदर नाक के द्वारा औषधियों का प्रवेश शरीर में किया जाता हैजिससे आपके सिर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ बहार निकलते है।

5.  रक्तमोक्षण  रक्तमोक्षण जैसा कि नाम से ही विदित होता हैकि रक्त को शुद्धिकरण अर्थात इस अंतिम चरण में हम पंचकर्म के द्वारा रक्त का शुद्धि करण करते है। जिससे शरीर के कुछेक भाग जिसमें दिक्कत हो रही है या फिर पूरे शरीर के रक्त का शुद्धिकरण करते हैक्योंकि सबसे ज्यादा बिमारियां खून की खराबी के कारण ही होती है।

पंचकर्म के महत्वपूर्ण लाभ और पंचकर्मा केंद्र दिल्ली में। 
•  पंचकर्म क्रिया के द्वारा शरीर के दोषों को बाहर निकाल दिया जाता हैइससे व्याधि ठीक होकर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। पंचकर्म स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

• पंचकर्म के द्वारा आपके शरीर का पूरी तरह से शुद्धिकरण हो जाता है।

• शरीर के सभी दुषित और विशाक्त पदार्थ बहार निकल जाने से इन्द्रियामनबुद्धि एवं रुप रंग अच्छा हो जाता है तथा बल एवं वीर्य की रुद्धि होने से पौरुष शक्ति बढ़ती है।

•  पंचकर्म पद्धति से दीर्घायु की प्राप्ति होती है और साथ ही पंचकर्म आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता हैजिससे शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती हैजिससे बार-बार होने वाली बिमारिया टाली जा सकती है।

•  रोज-रोज की ऐसीडिटी होनाखाँसी-जुकाम होनापेट ठीक से साफ न होनामुहासेजोड़ो के दर्द और कई सारी बिमारियों में पंचकर्म बहुत ही लाभकारी होता है।

•  पंच कर्म सिद्धांत के द्वारा बढ़ती उम्र को रोका जा सकता है तथा साथ ही बुढ़ापा देर से आता है।
अगर आप दिल्ली में पंचकर्मा केंद्र देख रहे है तो आप आशा आयुर्वेदा में आ सकते है जो नई दिल्ली राजौरी गार्डन में है।
हमारा पंचकर्मा केंद्र नई दिल्ली राजौरी गार्डन में हैhttp://www.aashaayurveda.com /9811773770

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