Monday, 27 January 2020

सोरायसिस के कारण व लक्षण एवं आयुर्वेद के उपचार

आपने किसी के हाथ या पैर पर लाल या सफेद गोल चकता बना हुआ देखा होगा । वास्तव में वो एक फंगल इंफेक्शन होता है जिसे मेडिकल साइंस में सोरायसिस ( Psoriasis ) कहा जाता है । सोरायसिस एक स्किन रिलेटेड रोग है जो हवा में नमी के कारण या मौसम के बदलने पर ज्यादातर देखने में आता है । यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है । पर ज्यादातर 30 से 40 साल की उम्र वालों में यह विकृत रूप से दिखाई देता है । तो आइए जानते हैं सोरायसिस के कारणों के बारे में :-



1. यह एक फंगल रोग है जो कपड़े के गीले रेशों से भी उत्पन्न हो जाता है । इस रोग के होने पर त्वचा में शुष्कता आ जाती है और त्वचा फुल कर मोटी हो जाती है तथा बहुत तेज खुजली होती है । ज्यादा खुजलाने पर त्वचा में लाल लाल दाने उभर आते हैं और फिर यही दाने लाल चकते का रूप धारण कर लेते हैं ।

2. यह एक तरह की छूत की बीमारी मानी जाती है और कभी - कभी यह आनुवंशिक बीमारी भी होती है ।

3. सोरायसिस कोहनी, घुटनों, सिर व हाथ - पैर कहीं पर भी हो सकती है । एक बार हो जाने पर ये बीमारी जल्दी ठीक भी नही होती है । इसके इलाज में धीरज रखने की जरूरत होती है ।

4. यह बीमारी शरीर में इम्युनिटी सिस्टम में गड़बड़ी के कारण पैदा होती है ।

5. इम्यूनिटी सिस्टम खराब होने पर शरीर में स्किन संबंधित कई बीमारियां खड़ी हो जाती है । भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत खानपान की वजह से या बहुत अधिक शराब का सेवन करने पर या फिर जिन लोगों की दिनचर्या सही नही होती है उन्हें यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है ।

6. दूषित व विषाक्त खाना खाने पर त्वचा संबंधित रोग निकल आते है । या फिर विरोधता पैदा करने वाली चीजों को एक साथ खाने पर स्किन प्रॉब्लम शुरू हो जाती है जैसे - दूध के साथ दही का सेवन नही करना चाहिये । घी व तेल को एक साथ मिलाकर नही खाना चाहिए ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनका आपस मे विरोधाभास उन्हें एक साथ सेवन करने से स्किन समस्या शुरू हो जाती हैं।

7. सही तरह से शरीर की देखभाल नही करने पर या फिर गीले व गन्दे कपड़ें पहनने पर या सीलनभरे अंडर गारमेंट्स पहनने से यह बीमारी तेजी से फैल जाती है । एक बार जब मरीज इसकी चपेट में आ जाता है तो जल्दी से यह बीमारी पीछा भी नहीं छोड़ती है ।



सोरायसिस ( Psoriasis ) के लक्षण

जैसा कि आप जानते हैं यह स्कीन से रिलेटेड बीमारी हैं । सामान्य शब्दों में दाद भी कहते हैं । इनके लक्षण शुरुआती दौर में ही दिखाई देते हैं जैसे

1. तेज़ धूप में जाने पर त्वचा में खिंचाव चालू हो जाता है ।
2. त्वचा पर बहुत तेज खुजली चालू हो जाती है । घाव से सफेद पपड़ी उतरती है व ज्यादा घाव बढ़ जाने पर सफेद पीप भी निकलने लगता है ।
3. मरीज को कभी कभी जोड़ों का दर्द भी चालू हो जाता है ।

सोरायसिस का दिल्ली में आयुर्वेदिक इलाज ( Ayurvedic Doctors For Psoriasis In Delhi ) :-

अगर हम बात करे देश की राजधानी दिल्ली में बेस्ट सोरायसिस के आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की तो आशा आयुर्वेदा  आयुर्वेदिक सेंटर एवं पंचकर्मा आयुर्वेदिक सेंटर दिल्ली मुख्य हैं । जहाँ आपको बेहतर इलाज मिल सकता हैं ।

सोरायसिस को दूर करने के आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment For Psoriasis ) :-

आयुर्वेदिक उपचार किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने की हिम्मत रखता है । आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ पोष्टिक व सही खाने पर जोर दिया जाता है । मरीज को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ दिए जाते हैं ताकि शरीर में पानी की मात्रा कम ना हो पाए ।


1. सोरायसिस को आम बोलचाल की भाषा में दाद की बीमारी कहा जाता है । मरीज के कपड़ों को वह उसके बिस्तर को अच्छे से साफ रखना चाहिए वह अलग रखना चाहिए ताकि यह बीमारी फैलने ना पाए ।

2. कपड़ों को डिटॉल या नीम के पानी से धोना चाहिए । कुछ सरल तरीके से सोरायसिस का इलाज घर पर ही किया जा सकता है ।

3. छाछ का प्रयोग - आयुर्वेद में छाछ को एक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है । छाछ से पेट साफ तो होता ही है नियमित दोपहर में छाछ का प्रयोग करने पर खाना अच्छे से डायजेस्ट हो जाता है । स्किन में क्रांति आ जाती है स्किन ज्यादा चमकदार होकर नए सेल्स पैदा करती है । छाछ का नियमित सेवन पेट व स्किन सम्बंधित कई बीमारियों से दूर रखता है ।

4. नीम का प्रयोग - नीम के पत्ते त्वचा संबंधी रोगों में काफी कारगर साबित होते हैं । नीम के पत्तों का प्रयोग लोशन में या साबुन के रूप में किया जाता है ।पानी में नीम के पत्तों को उबालकर उस पानी से घाव वाली जगह को धोने से तुरंत आराम मिलता है ।नीम के तेल को त्वचा पर लगाने से मुंहासे , दाद ,खाज ,खुजली त्वचा संबंधी सभी रोगों में तुरंत फायदा होता है ।

5. विरेचन की प्रक्रिया - गलत खानपान की वजह से रोज पेट साफ ठीक से नहीं हो पाता है । जिसके कारण कई बीमारियां घर कर लेती है । पंचकर्मा की विरेचन प्रक्रिया में रोगी को जड़ी बूटियों से बनी दवाइयों व चूर्ण वगैरह खिलाए जाते हैं जो पेट के इम्यूनिटी सिस्टम को ठीक करते हैं व पेट में जमा हुआ सारा मल बाहर निकाल देते हैं ।

6. आयुर्वेद में दवाई से ज्यादा पौष्टिक आहार पर जोर दिया जाता है । जिससे शरीर में पोषक तत्व भरपूर रहे वह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाये । पोष्टिक आहार से त्वचा ज्यादा ऊर्जावान हो जाती है । तली हुई चीजें फास्ट फूड और मैदे से बनी चीजों से पूर्णता परहेज करने की सलाह दी जाती है । गलत खानपान की वजह से ही हम जाने-अनजाने कितनी बीमारियों की चपेट में आ जाते है अतः आयुर्वेद में हमेशा घर पर बना पौष्टिकता से पूर्ण खाने पर ही जोर दिया जाता है ।

7. सन के बीज - सन के बीज शरीर में आई सूजन को कम करते हैं । इसके नियमित प्रयोग करने से त्वचा साफ व चमकदार हो जाती है ।

8. योग की सलाह - आयुर्वेद में हर बीमारी में योग को प्राथमिकता दी जाती है योग से कई बीमारियों का इलाज सरल हो जाता है । सुबह-सुबह ताजी हवा में सैर करने की सलाह दी जाती है । ताकि खुली हवा में सांस लेने से शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है । इसके साथ ही प्राणायाम करने से शरीर को शुद्ध वायु मिलती है । शरीर से नकारात्मकता भाग जाती है । शरीर और अधिक ऊर्जावान बन जाता है ।


9. प्राणायाम मे ॐ मंत्र का उच्चारण - गहरी सांस लेते हुए ॐ शब्द के उच्चारण करने से फेफड़ों में नई जान भर जाती है । नियमित अनुलोम -विलोम के साथ कपाल भारती करने से रक्त संचार ठीक होता है और हमारे उत्तकों में नई प्राणवायु भर जाती है । और त्वचा भी जवाँ दिखने लग जाती है ।



                      http://www.aashaayurveda.com contact: 9811773770


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