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Tuesday, 11 February 2020

Panchakarma: a powerful Ayurvedic way to treat many diseases

For reaching this article, maybe you googled, ‘Panchakarma centre in Rajouri Garden’, or ‘Panchakarma centre in Delhi or something else. But it’s great that you are here and we welcome you.
We know very little of the human body—about its functions and its self-healing power. The body has a deep self-healing power—Ayurveda knows it! Ayurveda treatment gives so much importance to cleansing the body so that the body can heal itself more efficiently.


Ayurveda is an ancient Indian healing and rejuvenating medicinal system. It not only focuses on the treatment of illnesses but also showers many pieces of advice on how to take care of your body and how to keep it beautiful.
Panchakarma is a very powerful technique for treating illnesses or beautifying the body. Panchakarma literally means ‘five actions’ that are performed to reach some health goals as per the needs of the patient.
Many people have begun to go for Panchakarma treatment. But why? Because of its benefits and increasing popularity. Panchakarma has lots of benefits. Some of them that I would like to share are:
Detoxification of the body
There is something called ‘purvkarma’ in Panchakarma treatment. ‘Purv’ means before. Purvkarma process is done before giving the core treatment. During this, the body is massaged with oil in order to get rid of the toxins in the skin. The body feels energetic and comfortable. Detoxification increases the skin glow, decreases the fat and improves sleep quality.

Improved digestion
Ayurveda is much concerned about what you eat, how you eat it and how well you digest it. Because to keep your energy levels up you need to eat good and digest well. People who suffer from constipation often have a heavy body and a bad mood. Whereas, people who easily empty their stomachs in the toilet feel their bodies light and energetic.
Improved sleep
Stress has attacked on many people’s sleep. Many are popping sleeping pills which have their side-effects. Stress is also responsible for several diseases. If you can keep your stress under control, it can boost your immunity and save you from many diseases. Ayurveda is very effective in reducing stress in people.
Slowed ageing
In this body-conscious world, who would like to age fast? Perhaps, no one. People want to look young for as long a period as possible. Ayurveda is very beneficial in slowing down the ageing process. For this purpose, it includes herbs, dietary changes, yoga and meditation. It also combats hair fall problems.


I would like to mention one more Ayurvedic treatment which is often done in Panchakarma treatment as per the need of the patient. It is:
Shirodhara
Shiro means ‘the head’ and Dhara means ‘flow’. Through these words, you can sense that it is something about flow on the head. In Shirodhara treatment, medicated oil is gently poured on to the forehead. The liquid which is poured may include milk, oil, coconut water, buttermilk or simple water.
It can treat a variety of conditions such as sinusitis, eye diseases, graying of hair, memory loss, neurological disorder, tinnitus, insomnia, hearing impairment, vertigo and so on.





Consult Dr Chanchal Sharma in Aasha Ayurveda in Rajouri Garden, Delhi. Call: +91- 9811773770; Website: www.aashaayurveda.com
Who should go for Panchakarma therapy?
In fact, anyone can go for Panchakarma therapy. This therapy not only helps treat illnesses but also contributes to the overall health of people. Even if you are not suffering from any illness, you can still go for it.
This therapy will add health benefits to your lifestyle. It will slow down your aging, make your skin shine and take care of your hair and the immune system.


Tuesday, 4 February 2020

पंचकर्म में छिपा है सभी रोगों का जड़ से इलाज

वर्तमान में लोगों की दिनचर्या व्यस्त से व्यस्ततम होती जा रही है, जिसका परिणाम हो रहा है – रात में देर से सोना, सुबह देर से उठना, वर्जिश योग आदि से दूरी बनाए रखना, टीवी के सामने घंटों चिपके रहना, बाहर का उठ पटांग खाना – पीना, चाय कॉफी की भरमार इन सारे कारणों से हमारे शरीर का पाचन बिगड़ जाता है और जिसका कारण होता है पोषक तत्वों का अभाव ।
आयुर्वेद के अनुसार दोषो को साम्यवास्था मे लेकर आना ही आरोग्य है,इसके लिये आयुर्वेद में औषधि आहार विहार के साथ ही पंचकर्म का भी विधान है।
पंचकर्म एक ऐसी पद्धति है जिसमें बढ़े हुए दोषों यानी वात पित्त कफ को शरीर से निकाल दिया जाता है और जिन दोषों की कमी हो उन्हे उचित आहार औषध से शरीर में बढ़ाया जाता है जिससे शरीर में आरोग्य की स्थापना हो इसिलिए पंचकर्म को आयुर्वेद का गहना भी कहा जाता है । पंचकर्म में मुख्य रूप से तीन कर्म किए जाते हैं पूर्व कर्म, प्रधान कर्म, पश्चात कर्म ।


पूर्व कर्म
मानव शरीर में सारे दोष विचरण करते हैं मुख्य रूप से तीन दोषों से हमारा शरीर बना होता है वात पित्त और कफ इन्हीं दोषों को शरीर से निकालने से पहले उभारना बहुत जरूरी होता है इन दोषों को उभारने के लिए जो प्रक्रिया की जाती हैं उन्हें पूर्व कर्म कहा जाता है पूर्व कर्म में मुख्य रूप से दो कर्म होते हैं स्नेहन और स्वेदन
स्नेहन से तात्पर्य ओयलिंग से होता है । स्नेहन मुख्य रूप से दो तरह से किया जाता है, एक प्रकार जिसमें स्नेह यानी तेल या घृत की उचित मात्रा रोगी को पिलायी जाती है। स्नेहन के दूसरे प्रकार मे तेल या घृत से पूरे शरीर में अभ्यंग या मालिश की जाती है । स्नेहन के बाद स्वेदन किया जाता है, जिसे आसन शब्दों में सेंक देना समझा जा सकता है ।
स्वेदन के कई प्रकार है जैसे, नाड़ी स्वेद, सर्वान्ग स्वेद, रूक्ष स्वेद ।
तेल से भली प्रकार शरीर की मालिश करने के बाद अच्छे से गर्म तरल,वस्तु या गर्म और औषधियों से शरीर की सिकाई करने को स्नेहन और स्वेदन कहते हैं यही पंचकर्म से पहले किए जाने वाले पूर्व कर्म है इनके करने से शरीर के जोड़ खुलते हैं तथा औषधियां अधिक कारगर होती हैं।
प्रधान कर्म
स्नेहन स्वेदन से खुले हुए शरीर पर प्रधान कर्म किया जाता है प्रधान कर्मी मुख्य रूप से पंचकर्म है इसके अंतर्गत पांच कर्म आते हैं जैसे वमन, विरेचन, आस्था पन अनुवासन वस्ति, शिरो विरेचन और रक्तमोक्षण आदि ।
1. वमन – वमन जैसे के नाम से ही ज्ञात है इसमें औषधियों का पान करा कर उल्टियां करवाई जाती हैं, जब कभी किसी मनुष्य के शरीर में कफ की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाती है तब उसे कफ जनित रोगों का सामना करना पड़ता है, यह रोग हैं ज्यादा समय तक चलने वाली सर्दी खांसी श्वास रोग मेदो रोग यानी मोटापा आलस्य, अजीर्ण, अपच, अरुचि, रक्तरोग, इन लोगों में रोगी को कफ बढ़ाने वाली और कफ निकालने वाली औषधियों का काढ़ा बनाकर पान कराया जाता है उसके बाद उसे वमन करवाकर उसके कोष्ठ को शुद्ध किया जाता है।

विशेष – हृदय रोग प्लीहा गुल्म अष्ठीला स्वर्भेद शिर: शूल तिमिर शंखक कर्णशूल, नेत्रशूल उदावर्त मुत्राघात से पीड़ित रोगियों को वमन नहीं कराना चाहिए ।
2. विरेचन :- विरेचन में विरेचन करवाने वाली औषधियों को रोगी को पिलाकर उसके कोष्ठ की शुद्धि की जाती है ।
विरेचन मुख्य रूप से पित्त के शमन हेतु किया जाता है । कुष्ठ, ज्वर, प्रमेह, भगंदर, उदर रोग और प्लीहा रोग और ब्रधन, गलगंड ग्रंथि विसूचिका अल्सर मुत्रघात क्रीमी कोस्ट विसर्प पांडू सिर शूल त्रिशूल उदावत नेत्र में जलन मुख में दाह हृदय रोग, व्यंग नीलिका नेत्र नासिका व मुख से स्त्राव होने पर हलीमक स्वास् कास कामला अपस्मार उन्माद योनि दोष शुक्र दोष में तिमिर अरोचक अविपाक वमन, शोध उदर रोग विस्फोटक रोग से पीड़ित व्यक्तियों को विरेचन देना चाहिए । जिस प्रकार अग्नि से जलते हुए घर में जब अग्नि शांत हो जाती है तो घर का जलना भी बंद हो जाता है उसी प्रकार विरेचन द्वारा पित्त के निकल जाने से उपर्युक्त रोग शीघ्र शांत हो जाते हैं।
विशेष :- मंदाग्नि अजीर्ण नूतन ज्वर मदत्यय अध्मान अंत: शल्य,आघात पीड़ित अति दारुण कोष्ठ, वमन के अयोग्य प्रकरण में क्षत से लेकर गर्भिणी तक जो व्यक्ति बताए गए हैं वह विरेचन के योग्य नहीं होते हैं ।
3. वस्ति :- जिस प्रकार कफ के हरण के लिए वमन, पित्त के हरण के लिए विरेचन उसी प्रकार वात के हरण के लिए बस्ती का उपयोग हमारे आचार्यों ने बताया है । बस्ती मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है आस्था पन बस्ती या निरूहा बस्ती जिसे रुक्ष बस्ती भी कहा जाता है यह मुख्य रूप से औषधियों के क्वाथ से दी जाती है । दूसरा प्रकार अनुवासन बस्ती का है जो स्निग्ध बस्ती कही जाती है यह मुख्य रूप से तेल घी दूध इत्यादि से दी जाती है ।

4. शिरोधारा :- यह भी पंचकर्म का एक प्रकार है जिसमें औषधियों की मात्रा को तरल में उबालकर काढ़ा तैयार किया जाता है उसके बाद इस काढ़े को ठंडा कर रोगी के सिर में दोनों भ्रू मध्य में बूंद – बूंद टपका कर औषधि गिराई जाती है जिसे शिरोधारा कहते हैं यह मुख्य रूप से सिर में पाए जाने वाले विभिन्न विकारों जैसे शिर शूल अधकपारी हाई ब्लड प्रेशर अनिद्रा इनसोम्निया इत्यादि रोगों में दिया जाता है ।
5. रक्तमोक्षण :- रक्त जनित अशुद्धि के कारण उत्पन्न होने वाले रक्तगत रोग की चिकित्सा के लिए रक्तमोक्षण प्रयोग में लाया जाता है यह एक आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है । रक्त से उत्पन्न होने वाली विभिन्न तरह की प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट किया जाता हैं । इस पद्धति से अन्य रक्त जनित रोगों में भी रक्तमोक्षण का प्रयोग किया जाता है ।
यह मुख्य रूप से 5 प्रधान कर्म कहे जाते हैं जो पंचकर्म के अंतर्गत आते हैं पर पंचकर्म पूरा होता है, पश्चात कर्म के द्वारा । जब शरीर से बड़े पैमाने पर कफ या पित्त का निर्हरण किया जाता है वह भी वमन या विरेचन विधियों द्वारा तब शरीर बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है उस कमजोर शरीर को साधारण अन्न पान लाने के लिए कुछ समय लगता है इस समय अवधि में शरीर को बहुत ही हल्का आहार दिया जाता है इस हल्के आहार के देने का भी एक तरीका होता है शुरू के दो आहार बिल्कुल ही हल्के पेया के दिए जाते हैं उसके बाद उससे थोड़ा अधिक गहरा आहार दिया जाता है इस प्रकार 7 दिन के संसर्जन क्रम के पश्चात रोगी को साधारण आहार में लाया जाता है ।
इसी समय अवधि को संसर्जन क्रम या पश्चात कर्म कहा जाता है । इन कुछ दिनों की अवधि में रोगी को तरल आहार के साथ खिचड़ी इत्यादि दी जाती है । इस प्रकार पूर्व कर्म प्रधान कर्म और पश्चात कर्म को एक साथ मिलाकर पंचकर्म कहा जाता है ।
आज के भागदौड़ भरे जीवन में मनुष्य यदि समय निकालकर रितु अनुसार अपने शरीर से उभरे दोषों को पंचकर्म की विधि अनुसार समय-समय पर निरहरण करवाते रहें तो तब वह एक हेल्थी लाइफ जी सकता है, इसीलिए पंचकर्म आयुर्वेद का गहना है ।

दिल्ली के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की बात करे तो आशा आयुर्वेदा पंचकर्म सेंटर दिल्ली एक बेस्ट ऑप्शन हैं। जहां आपका बेहतर ट्रीटमेंट दिया जायेगा ।




अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें : www.aashaayurveda.com9811773770

Friday, 31 January 2020

पंचकर्मा (pnchkarma) से दुरुस्‍त रखें अपना तन-मन

किसी भी बीमारी के बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेद बेस्ट विकल्प है ।आयुर्वेद में बिना शल्य चिकित्सा के किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने की औषधि और साधन मौजूद है । इसके साथ-साथ आयुर्वेद में पंचकर्म विधि द्वारा बहुत ही कारगर उपाय किया जाता है । यह प्रक्रिया काफी जांची परखी बहुत कारगर सिद्ध होती है । जिसमें शरीर को पूरी तरह निरोग बनाने का काम किया जाता है ताकि औषधि का भरपूर लाभ शरीर को मिल सके । उनमें से एक हैं आयुर्वेद की पंचकर्मा पद्धति, तो आइए जानते है पंचकर्म विधि होती क्या है । पंचकर्म से दुरुस्‍त रखें अपना तन-मन –


पंचकर्मा (पांच तरह के कर्म) जैसा की इसके नाम से ज्ञात होता है इसमें 5 तरह का ट्रीटमेंट मरीज को दिया जाता है।
पंचकर्मा (पांच तरह के कर्म) जैसा की इसके नाम से ज्ञात होता है इसमें 5 तरह का ट्रीटमेंट मरीज को दिया जाता है
पहला स्टेप वमन थेरेपी – (उल्टी )
इस थेरेपी में उल्टी के माध्यम से शरीर के दूषित खट्टे , लवणयुक्त तत्वों को उल्टी द्वारा बाहर निकाला जाता है । इसमें मरीज को उल्टी आने की औषधि दी जाती है जिससे बार – बार उल्टी आती है और पेट में जमी हुई जहरीली गैस, वायु , वात -पित्त सभी उल्टी के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं । शरीर अधिक निरोग बनकर सक्रिय होकर कार्य करना शुरू कर देता है । जिन लोगों को अस्थमा की शिकायत होती है उनके लिए तो यह थेरेपी बहुत कारगर सिद्ध होती है ।
पंचकर्म पद्धति में दूसरा स्टेप विरेचन –
विरेचन प्रक्रिया में औषधियों द्वारा बार-बार दस्त लगने की दवा दी जाती है जिससे मल के द्वारा शरीर के सारे विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते है । आजकल ज्यादातर फास्ट फूड का चलन बन गया है ऐसे फूड मैदे से बने होते है और ऐसा खाना पेट में जाकर जम जाता है और विषाक्त पदार्थ बन जाता है । गलत खानपान की वजह से ही रोज पेट पूरी तरह से साफ नहीं हो पाता और पेट में दूषित पदार्थ जमा हुए रहते हैं जो कई बीमारियों की जड़ होते हैं विवेचन प्रक्रिया से पेट को पूरी तरह साफ बना दिया जाता है जिससे शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है और यह पद्धति मोटापा वाले व्यक्ति के लिए काफी लाभदायक है जिन लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है उनके लिए तो यह थेरेपी वरदान है।
पंचकर्मा पद्धति का तीसरा स्टेप है नस्य क्रिया –
इस प्रक्रिया में नाक में औषधीय तेल डाला जाता है जो ऊपर सिर में जाकर विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाल लाता है । कभी-कभी मरीज को हल्के हाथों से सिर पर मालिश भी दी जाती है । जिन लोगों को माइग्रेन वह डिप्रेशन की समस्या होती है उन लोगों के लिए यह प्रक्रिया बहुत ही राहत दिलाने वाली होती है और जिन लोगों के सिर में बालों की समस्या होती है वह भी इस प्रक्रिया से खत्म हो जाती है । इसके अलावा मस्तिष्क में जमी वात , कफ पित में भी यह प्रक्रिया काफी कारगर सिद्ध होती है ।


पंचकर्मा पद्धति का चौथा स्टेप अनुवासन वस्ती –
इस पद्धति में शरीर को पूरी तरह निरोग बनाया जाता है मरीज को भरपूर पौष्टिक आहार दिया जाता है वास्तव में तो यह पद्धति पंचकर्म विधि का आधार मानी गई है । मरीज को ज्यादा तरल पदार्थ दिए जाते हैं जैसे दूध, दही, घी, मक्खन आदि का सेवन करवाया जाता है जो पेट को पूरी तरह से साफ बना कर ऊर्जावान कर देता है । क्योंकि हमारे खान-पान में जितना तरल और पौष्टिक आहार रहेगा शरीर उतना ही सक्रिय होकर कार्य करने लग जाएगा । पुराने जमाने के लोग इसीलिए स्वस्थ रहते थे क्योंकि वे तरल पदार्थ ज्यादा लेते थे । उनके खानपान में दूध, दही लस्सी की भरमार होती थी ।
पांचवा स्टेप रक्तमोक्षण –
इस प्रक्रिया में शरीर में खराब खून को साफ किया जाता है। आयुर्वेदिक औषधियों के माध्यम से आपके शरीर के खून को शुद्ध किया जाता है इस प्रक्रिया से रक्त संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते हैं जैसे अनीमिया, उच्च रक्तचाप, आदि ।
पंचकर्मा प्रक्रिया में बहुत सारे फायदे इस प्रक्रिया में शरीर को पूर्णतया दोषमुक्त बना दिया जाता है । जिससे शरीर में नई जान आ जाती है और नई स्फूर्ति से शरीर कार्य करने लग जाता है । इस प्रक्रिया में थोड़ा समय जरूर लगता है । थोड़ी धीरज की जरूरत होती है पर सभी बीमारियों को जड़ से खत्म कर देने का काम आयुर्वेद में होता है ।

इसके अलावा आयुर्वेद में योग क्रिया का भी सहारा लिया जाता है । प्राणायाम व योगक्रिया द्वारा असाध्य रोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जाता है । आशा आयुर्वेद सेंटर दिल्ली में कुशल एक्सपर्ट की देखरेख में योग क्रिया और पंचकर्मा विधि द्वारा मरीजो का इलाज किया जाता है ।
पंचकर्मा पद्धति से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है । आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है ना ही बहुत सारी महंगी दवाइयों का सेवन मरीज को कराया जाता है । और तो और जड़ी बूटी से निर्मित ओषधि खाने से मरीज के चेहरे पर चमक भी आ जाती है और शरीर में उत्साह बढ़ जाता है ।





दिल्ली के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की बात करे तो आशा आयुर्वेदा सेंटर दिल्ली एक बेस्ट ऑप्शन हैं। जहां आपका बेहतर ट्रीटमेंट दिया जायेगा । अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें :

Aasha Ayurveda Panchkarma Centre in Delhi


इससे जुड़े Blog:  Best doctor for panchkarma in Delhi.


Thursday, 16 January 2020

पंचकर्मा क्या है। पंचकर्मा के क्या फायदे ।

आधुनिक युग की भागमभाग भरी जिंदगी में इंसान तुरंत रिजल्ट देने वाली मेडिसिन लेता हैं जिसे वह ठीक तो जाता हैं मगर उन मेडिसिन से साइड इफेक्ट होने का खतरा भी रहता हैं।एक बीमारी तो ठीक हो जाती है पर नई दस बीमारियाँ खड़ी हो जाती है इसके विपरीत आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में साइड इफेक्ट जैसी प्रॉब्लम न के बराबर हैं । इस पद्धति से रोग का स्थायी समाधान होता हैं । आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की अनेको विधियां हैं उनमें से एक हैं पंचकर्मा पद्धति । यह एक बेस्ट आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हैं । जिस प्रकार हमारा शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है उसी रोग को 5 तरीको से ठीक किया जा सकता हैं । आयुर्वेद ने इन पांच कर्मो (वमन, विरेचन, नस्य, अनुवासन एवं रक्त) को ही पंचकर्मा कहा हैं ।


हमारे देश में आयुर्वेद चिकित्सालय हैं जहां पंचकर्मा पद्धति से इलाज किया जाता हैं उनमें से एक हैं आयुर्वेद पंचकर्मा सेंटर दिल्ली ( Panchakarma Centre in Delhi ) । देश की राजधानी में स्थित इस आयुर्वेद चिकित्सालय पंचकर्मा पद्धति से सभी प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता हैं । तो आइए जानते हैं पंचकर्मा पद्धति क्या हैं ( Panchkrama kya hai?) :-
पंचकर्मा एक ऐसी आयुर्वेद की प्रक्रिया हैं जिसे शरीर के विभिन्न अंगों के माध्यम से शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को बिना किसी शल्य क्रिया से बाहर निकाला जाता हैं । इस पद्धति को 5 चरणों मे पूरा किया जाता हैं । जो इस प्रकार है :-
1.पंचकर्मा पद्धति का पहला स्टेप – वमन यानी उल्टी
इस प्रक्रिया में आपको उल्टी के माध्यम से पेट में जहरीली गैस व जमा हुआ विषाक्त पदार्थ को उल्टी के द्वारा बाहर निकाला जाता है ।इस प्रक्रिया में मेडिसिन के माध्यम से जमे विषाक्त पदार्थों तरल बनाया जाता है फिर उल्टी के साथ शरीर से बाहर निकाला जाता है । क्योंकि सारी बीमारियों की जड़ तो पेट ही होता है । हम आजकल ज्यादातर खाने में फास्ट फूड व तली हुई चीजों का और मैदे से बनी हुई चीजों का ही इस्तेमाल करते हैं जो शरीर में डाइजेस्ट ना होने के कारण पेट में जमकर विषैला पदार्थ बन जाती है । वमन प्रक्रिया में पेट पूरी तरह साफ हो जाता है । जिन लोगों में वात , पित्त और अस्थमा की शिकायत होती है उनके लिए तो यह प्रक्रिया रामबाण है ।

पंचकर्मा पद्वति का दूसरा स्टेप —  विरेचन
यानी इस प्रक्रिया में मल के द्वारा शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाला जाता है। इस मे जड़ी बूटियों से बनी मेडिसिन आपको खिलाई जाती है जो आपके शरीर में जाकर मल के माध्यम से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाल देती है ।साथ ही जो लोग मोटापा के शिकार होते है ।और जिनको खाना सही तरह से डाइजेस्ट नहीं हो पाता और मोटापा घेर लेता है । उनके लिए यह प्रक्रिया मोटापा कम करने में सहायक होती है । पेट साफ होने से आधी बीमारियां तो ऐसे ही निकल जाती है । फिर जो लोग कब्ज की शिकायत परेशान रहते हैं । उनके लिए यह प्रक्रिया बहुत ही लाभदायक है ।
पंचकर्मा पद्वति का चौथा स्टेप – अनुवासन वस्ती
इस प्रक्रिया को पंचकर्म प्रकृति प्रक्रिया का आधार माना गया है । क्योकि इस प्रक्रिया में आपको ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन जैसे दूध, दही, घी, मक्खन और छाछ जैसे तरल पदार्थों का सेवन कराया जाता है । जो पेट को पूरी तरह से साफ और रोग मुक्त बना देता है ।क्योंकि हमारे खाने में जितना तरल व पौष्टिक पदार्थों होगा उतना ही हम स्वास्थ्य बनेंगे पुराने जमाने के लोग इसीलिए स्वस्थ रहते थे क्योंकि उनके खान-पान में इन्हीं तरल व पोष्टिक चीजों की भरमार होती थी ।
पंचकर्मा पद्धति का पांचवां स्टेप – रक्तमोक्षण
इस प्रक्रिया में आपके शरीर में खराब खून को साफ किया जाता है । जड़ी बूटियों के माध्यम से आपके शरीर के रक्त को शुद्ध किया जाता है । खून को पतला व साफ बनाया जाता है ।जिन लोगों को मुहांसों व स्किन की समस्या होती है । उन लोगों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद प्रक्रिया होती है । इस प्रक्रिया द्वारा हार्ट को शुद्ध खून मिलता है । और हार्ट और अच्छी तरह से कार्य करता है ।

पंचकर्म के फायदे :-
पंचकर्म पद्धति के बहुत सारे फायदे इस प्रक्रिया में शरीर को पूरी तरह विषाक्त मुक्त बना दिया जाता है । जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है । शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है । इस प्रक्रिया में थोड़ा समय जरूर लगता है पर शरीर से सारी बीमारियों का जड़ से खात्मा हो जाता है । शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाने से आदमी को छोटी- मोटी बीमारियों का असर ही नहीं होता है । इसमें साइड इफेक्ट्स का कोई डर नहीं होता और ना ही बहुत सारी महंगी दवाइयों का सेवन आपको करवाया जाते हैं ।देसी जड़ी बूटियों की दवाई खाने से इंसान के चेहरे पर भी चमक आ जाती है शरीर में उत्साह का संचार हो जाता है ।
पंचकर्मा की सावधानियां
इस पद्धति में  Ayurvedic Panchakarma Treatment Centre in Delhi के अनुसार हमे कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता है । जैसे तनाव न ले, फिज़िकल रिलेशनशिप न बनाएं, भरपूर नींद ले एवं चिकित्सक के परामर्श के अनुसार खान पान करें ।

http://www.aashaayurveda.com contact: 9811773770
अगर आप अधिक जानकारी चाहते है तो क्लिक कीजिये : Best doctor for panchkarma in Delhi
इनफर्टिलिटी का आयुर्वेदा में इलाज अधिक जानकारी के लिए वीडियो पर क्लिक कीजिये : यदि आप भी Blocked Fallopian tube से पीड़ित है तो एक बार video देखे जिंदगी बदल जाएगी !


Saturday, 11 January 2020

पंचकर्मा क्या होता है और पंचकर्मा के फायदे होते है।

पंचकर्मा से हमारे शरीर के रोगो का निदान होता है। कई बार ऐसा होता हम डॉक्टर का पास जाकर भी हमारी बिमारियों का सही से निदान नहीं हो पता, एलोपेथिक दवाइयाँ एक रोग ठीक करती है और दूसरी बीमारी को दावत देती है। लेकिन आयुर्वेदा में हमारी को जड़ से ख़त्म किया जाता है। जिसमे है एक पंचकर्मा है।  पंचकर्मा में त्वचा ,बालो और इन्फर्टिलटी बीमारियों का जड़ से इलाज किया जाता हैं। आशा आयुर्वेदा में आप अपनी समस्याओ को दिखा सकते हैं।


 जानिए क्या है पंचकर्म और इसके लाभ  आयुर्वेद के अनुसार शरीर से विशाक्त पदार्थों को बहार निकालने की प्रक्रिया को पंचकर्म सिद्धांत के अंतर्गत रखा गया है। इसे हम शरीर का शुद्धिकरण भी कह सकते हैक्योंकि जब हम शरीर से विशैले पदार्थों का त्याग करते है तो हमारा शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। आयुर्वेद की पंच कर्म पद्धति में पांच क्रियाएं होती है। इनके नाम इस प्रकार से है – वमन, विरेचन, बस्ति, नस्य, रक्तमोक्षण।

1.  वमन  पंचकर्म की पहली प्रक्रिया होती है वमन अर्थात उल्टी के द्वारा शरीर के जहरीले विशाक्त पदार्थों को शरीर से बहार करके शरीर को शुद्ध बनाना।

2. विरेचन  विरेचन पंचकर्म की दूसरी पद्धति है जिसके द्वारा पूरी तरह से शरीर से मल का त्याग किया जाता है। इस प्रकिया में शरीर की आंतों में जमें विशाक्त पदार्थों को निकाला जाता है और जड़ी बुटियों का सेवन कराया जाता है जिससे विशैल पदार्थ शरीर से जल्द से जल्द मल के द्वारा बहार आ जायें।

3.  वस्ति  पंचकर्म के इस चरण में हम रोगी को आयुर्वेद की तरल औषाधियों का सेवन कराते है। इन तरह औषधियों में दुधतेल या फिर घी को पिलाया जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग जटिल तथा पुरानी बिमारियों को ठीक करने में किया जाता है।

4.  नस्य  इस प्रक्रिया के अंतर्गत शरीर के अंदर नाक के द्वारा औषधियों का प्रवेश शरीर में किया जाता हैजिससे आपके सिर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ बहार निकलते है।

5.  रक्तमोक्षण  रक्तमोक्षण जैसा कि नाम से ही विदित होता हैकि रक्त को शुद्धिकरण अर्थात इस अंतिम चरण में हम पंचकर्म के द्वारा रक्त का शुद्धि करण करते है। जिससे शरीर के कुछेक भाग जिसमें दिक्कत हो रही है या फिर पूरे शरीर के रक्त का शुद्धिकरण करते हैक्योंकि सबसे ज्यादा बिमारियां खून की खराबी के कारण ही होती है।

पंचकर्म के महत्वपूर्ण लाभ और पंचकर्मा केंद्र दिल्ली में। 
•  पंचकर्म क्रिया के द्वारा शरीर के दोषों को बाहर निकाल दिया जाता हैइससे व्याधि ठीक होकर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। पंचकर्म स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

• पंचकर्म के द्वारा आपके शरीर का पूरी तरह से शुद्धिकरण हो जाता है।

• शरीर के सभी दुषित और विशाक्त पदार्थ बहार निकल जाने से इन्द्रियामनबुद्धि एवं रुप रंग अच्छा हो जाता है तथा बल एवं वीर्य की रुद्धि होने से पौरुष शक्ति बढ़ती है।

•  पंचकर्म पद्धति से दीर्घायु की प्राप्ति होती है और साथ ही पंचकर्म आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता हैजिससे शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती हैजिससे बार-बार होने वाली बिमारिया टाली जा सकती है।

•  रोज-रोज की ऐसीडिटी होनाखाँसी-जुकाम होनापेट ठीक से साफ न होनामुहासेजोड़ो के दर्द और कई सारी बिमारियों में पंचकर्म बहुत ही लाभकारी होता है।

•  पंच कर्म सिद्धांत के द्वारा बढ़ती उम्र को रोका जा सकता है तथा साथ ही बुढ़ापा देर से आता है।
अगर आप दिल्ली में पंचकर्मा केंद्र देख रहे है तो आप आशा आयुर्वेदा में आ सकते है जो नई दिल्ली राजौरी गार्डन में है।
हमारा पंचकर्मा केंद्र नई दिल्ली राजौरी गार्डन में हैhttp://www.aashaayurveda.com /9811773770

अगर आप पंचकर्मा के बारे में और जानना चाहते है तो आप इस पर क्लिक करके अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है: पंचकर्म | Natural Treatments In Panchkarma | Health Tips By Aasha ayurveda




Wednesday, 2 October 2019

How do you know it’s time for body cleansing/detoxification



Irregular routines and bad eating habits have led to many irregularities in our lives, which
affect our body. In such a situation, it is very important that the body be detoxified. For that, there are many Ayurvedic Panchakarma centre in Delhi.


Some poisonous elements continue to form in our body and they also come out of our body automatically. Our liver performs the task of cleaning our body. Our liver makes such enzymes in the body that control the functions of our many organs like eyes, heart, brain, kidneys and joints. But sometimes this does not happen, due to irregular routines and bad eating habits, many irregularities have occurred in our lives, which affect our body. In such a situation, it is very important that the body be detoxified. To refresh the body, it is very important to detoxify which can be done with both food and meditation. 

Basically, when we talk about detoxification, it means removing impurities from our blood, and our liver, where toxic substances are collected. The body automatically removes toxic substances from the kidneys, intestines, lungs and skin. But when this is not possible then we need to detoxify.

To detoxify the body, one must first avoid eating the things that make up the toxic substances in the body, such as tea, coffee, cigarettes, saturated fat, alcohol, etc. And with this, you have to get away from all the household cleaners and beauty products that go into your body in some way like cleanser, shampoo, deodorant and toothpaste etc. There are many remedies in Ayurveda to detoxify the body.


Signs which shows that you need Ayurvedic Body Cleansing/Detoxification

You should always go for the ayurvedic detoxification process one in a year. These are the signs which show that a person needs body cleansing:

•    Tiredness
•    Laziness
•    Skin problems
•    Allergy
•    Swelling under the eyes
•    Bloating
•    Over thinking
•    Stomach problems

 
Ayurvedic panchakarma treatment is the best suggested treatment for ayurvedic body cleansing. Aasha ayurveda, a Panchakarma centre in rajouri garden can help you get rid of all these problems.

Why is it important to remove toxins from the body?


It’s only because different types of toxins are present in our environment. Different types of food also produce this toxin in our body. We are not always able to adopt healthy lifestyle and cannot eat healthy food. In addition, radiation and mental stress present in the environment also have adverse effects on the body. Generally our body system is capable of expelling this toxin accumulation and it continues to be expelled as a daily process. But sometimes it does not happen properly or we become indifferent to this purification process. If we go according to the biological clock of our body and live a natural life, then this foreign matter continues to be expelled. If we drink sufficient amount of water and continue doing yoga and exercise, then stool and sweat comes out of the body, which helps in purification of the body. The concept of Ayurveda is somewhat different. For example, if you eat a good amount of food, it is helpful in the suppression of vata.

Remedy for body detoxification in Ayurveda


•    Turmeric is very important to detoxify the body and it can clear your liver. You can also make liver detox drink, in which you can boil a cup of water with some turmeric. Cool it and add a teaspoon of honey and a few drops of lemon juice to it.

•    To detoxify the body, drink tea with lemon three times a day, because the vitamin C of lemon will remove the toxic elements present in your liver.

•    Green tea can be very useful for detoxifying the body. It is very good for metabolicism of your body and which gives your liver the strength to fight many diseases.

•    Eat plenty of coriander, cucumber etc. Water is found in plenty in cucumber and which is an excellent source in summer to meet the lack of water in the body.

•    Do not drink alcohol , and above all, complete sleep. In today's time, people do not have time to sleep, due to which they become irritable and laziness persists. Ayurvedic Panchakarma centre in Delhi can guide you accprdingly.



Ayurvedic Panchakarma treatment


Panchakarma method makes the body free from toxic elements. This cleanses all the veins of the body and all the systems of the body start functioning properly. Disease resistance is also increased through Panchakarma. The body is purified in three ways in Panchakarma. Therefore one should always visit a Panchakarma center in Delhi. We can say the Panchakarma is the pillar on which the whole concept of Ayurveda stands. Panchakarma treatment is practiced in various Ayurvedic Panchakarma Treatment center
Methods used in Panchakarma Treatment :

1)    Vaman- The first act of Panchakarma is vaman. Kapha-predominant diseases are cured by giving emetic medicines.

2)    Virechan - Pitta dosha is cured by having purification by ayurevdic herbs.

3)    Basti - This method is adopted to exclude Vasti-Vata dosha. In this, the medicine is injected through the rectum and is taken out.

4)    Nasya - In this treatment, by putting the medicine inside the nose holes, the throat and head defects are removed.

5)    Raktamokshan - In this, blood is taken out to get rid of diseases caused by impure blood. Efforts are made to draw out the impure blood. This treatment is particularly important in various skin diseases, for example, psoriasis, dermatitis etc


For more info about  Panchkarma :

What is panchakarma and Benefits of Panchakarma ?